ऑपरेशन सिंधु के अंतर्गत भारत सरकार ने ईरान से न केवल भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला, बल्कि नेपाल और श्रीलंका के निवासियों की भी मदद की है। ईरान और इस्राइल के बीच बढ़ते युद्ध के चलते यह आपातकालीन कदम उठाया गया। इस मिशन को अब एक क्षेत्रीय मानवीय राहत अभियान के रूप में देखा जा रहा है।
ऑपरेशन सिंधु के तहत रेस्क्यू मिशन की शुरुआत
ऑपरेशन सिंधु की शुरुआत भारत ने तब की जब ईरान और इस्राइल के बीच हालिया संघर्ष के कारण वहां हजारों भारतीय, नेपाली और श्रीलंकाई नागरिक फंस गए थे। भारत ने तुरंत कार्रवाई करते हुए ईरान के मशहद और तेहरान से विशेष उड़ानों की व्यवस्था की। इन उड़ानों के ज़रिए अब तक 517 भारतीय नागरिकों को भारत लाया जा चुका है।
नेपाल और श्रीलंका के नागरिकों को भी मिल रही मदद
इस बार ऑपरेशन सिंधु सिर्फ भारतीयों तक सीमित नहीं रहा। नेपाल और श्रीलंका की सरकारों के आग्रह पर भारत ने इन दोनों देशों के फंसे नागरिकों को भी बचाव मिशन में शामिल किया। यह कदम दक्षिण एशियाई सहयोग का प्रतीक है और भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत करता है।
भारतीय दूतावास द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर
भारत सरकार और ईरान में स्थित भारतीय दूतावास ने निम्नलिखित हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं:
- 📞 +98 901 014 4557
- 📞 +98 912 810 9115
- 📞 +98 912 810 9109
इसके अतिरिक्त, एक Telegram चैनल भी बनाया गया है ताकि यात्रियों को समय पर अपडेट मिल सकें।
📊 ऑपरेशन सिंधु में अब तक की स्थिति
पहलु | विवरण |
---|---|
रेस्क्यू फ्लाइट्स | 3 फ्लाइट्स भारत आ चुकी हैं |
निकाले गए भारतीय | 517 नागरिक |
नेपाल/श्रीलंका नागरिक | दर्जनों नागरिकों को सहायता |
प्रमुख स्थान | मशहद, तेहरान, अश्गाबात |
सहयोग | ईरान द्वारा एयरस्पेस खोला गया |
ऑपरेशन सिंधु के पीछे की रणनीति
ऑपरेशन सिंधु की रणनीति तेज़, समन्वित और मानवतावादी रही है। भारत ने न सिर्फ उड़ानों की व्यवस्था की, बल्कि जरूरतमंदों के लिए भोजन, आवास और प्राथमिक चिकित्सा की भी व्यवस्था की। MEA (विदेश मंत्रालय) और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तालमेल से यह कार्य सफलता की ओर बढ़ा।
🌍वैश्विक दृष्टिकोण से भारत की भूमिका
ईरान-इस्राइल युद्ध के बीच भारत का यह कदम उसे वैश्विक मानवीय मामलों में एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करता है। भारत ने यह भी साबित किया कि संकट की घड़ी में वह सिर्फ अपने नागरिकों का ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों के लोगों की भी रक्षा करने में सक्षम है।
❓ FAQs (Frequently Asked Questions)
1. ऑपरेशन सिंधु के अंतर्गत कितने देशों के नागरिकों को निकाला गया है?
इस अभियान में अब तक भारत, नेपाल और श्रीलंका के नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया है। यह मिशन क्षेत्रीय स्तर पर एक बड़ा मानवीय प्रयास माना जा रहा है।
2. क्या ऑपरेशन सिंधु केवल छात्रों के लिए था या अन्य नागरिक भी शामिल थे?
यह अभियान सभी नागरिकों के लिए था, जिसमें छात्र, पर्यटक, कामगार और महिलाएं भी शामिल थीं। किसी भी व्यक्ति को उसकी स्थिति के अनुसार प्राथमिकता दी गई।
3. ऑपरेशन सिंधु की योजना कितने समय में बनाई गई थी?
इस अभियान की योजना कुछ ही घंटों में तैयार की गई थी, जब ईरान में हालात अचानक बिगड़े। भारत सरकार ने तुरंत हरकत में आकर इसे शुरू किया।
4. क्या इस मिशन में भारतीय वायुसेना की भी भूमिका रही?
नहीं, अधिकतर उड़ानें चार्टर्ड और कमर्शियल एयरलाइनों के ज़रिए चलाई गईं। हालांकि एयर ट्रैफिक कंट्रोल और सुरक्षा व्यवस्था में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने सहयोग किया।
5. निकाले गए लोगों को भारत पहुंचने के बाद कहां ले जाया गया?
अधिकतर नागरिकों को दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और जयपुर लाया गया, जहां उनके लिए विशेष स्वागत और सहायता केंद्र बनाए गए थे।
6. क्या इस अभियान के तहत निकाले गए लोगों से कोई शुल्क लिया गया?
नहीं, भारत सरकार ने इस आपातकालीन अभियान को पूरी तरह निशुल्क रखा ताकि कोई भी नागरिक आर्थिक वजह से पीछे न रह जाए।
7. ऑपरेशन सिंधु की तुलना पिछले बचाव अभियानों से कैसे की जा सकती है?
यह अभियान उस समय के ‘वंदे भारत मिशन’ और ‘ऑपरेशन गंगा’ से तेज़ और अधिक समन्वित रहा है। इसकी सबसे खास बात अन्य देशों की भागीदारी है।
8. क्या इस मिशन के दौरान किसी नागरिक को चोट आई?
अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार सभी नागरिक सुरक्षित हैं और किसी प्रकार की गंभीर चोट या हानि की सूचना नहीं है।
9. इस अभियान की निगरानी कौन कर रहा था?
विदेश मंत्रालय और ईरान में स्थित भारतीय दूतावास की टीमें लगातार निगरानी और समन्वय में जुटी रहीं। उच्च स्तर पर स्वयं मंत्रीगण भी जुड़े रहे।
10. क्या भविष्य में इस तरह के मिशन फिर से शुरू हो सकते हैं?
हाँ, अगर हालात बिगड़ते हैं तो भारत फिर से ऑपरेशन सिंधु जैसे अभियान को सक्रिय कर सकता है। इसका उद्देश्य हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।