बीजिंग: चीन ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। बीहांग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ली होंगगे की टीम ने हाइब्रिड स्टोकेस्टिक नंबर (HSN) कंप्यूटिंग नामक एक नई तकनीक विकसित की है, जो पारंपरिक बाइनरी चिप्स की सीमाओं को पार करने में सक्षम है। यह नवाचार AI चिप्स को अधिक ऊर्जा-कुशल और विश्वसनीय बनाता है।
HSN कंप्यूटिंग क्या है?
HSN कंप्यूटिंग, बाइनरी (0 और 1) और प्रोबेबिलिस्टिक (संभाव्य) लॉजिक को मिलाती है। बाइनरी सिस्टम सटीक गणना के लिए अधिक बिजली खपत करते हैं, जबकि स्टोकेस्टिक कंप्यूटिंग कम ऊर्जा में काम करती है, लेकिन धीमी होती है। HSN इन दोनों का संयोजन कर कम बिजली में तेज और भरोसेमंद प्रदर्शन देता है।
पारंपरिक चिप्स की सीमाएँ और HSN का समाधान
- पावर वॉल: बाइनरी चिप्स में ट्रांजिस्टर की संख्या बढ़ने पर बिजली खपत बहुत अधिक हो जाती है।
- आर्किटेक्चर वॉल: नॉन-सिलिकॉन चिप्स को मौजूदा सिस्टम के साथ जोड़ना मुश्किल होता है।
HSN तकनीक इन दोनों समस्याओं को हल करती है, जिससे AI चिप्स का प्रदर्शन बेहतर होता है।
नॉन-बाइनरी AI चिप्स के उपयोग
- टच डिस्प्ले: शोर कम करके यूजर इंटरैक्शन को सुधारता है।
- मेडिकल/इंडस्ट्रियल डिस्प्ले: कम बिजली में तेज़ डेटा प्रोसेसिंग।
- एविएशन: नेविगेशन सिस्टम को अधिक सटीक और सुरक्षित बनाता है।
- इन-मेमोरी कंप्यूटिंग: डेटा ट्रांसफर की समस्या को कम करता है।
अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद सफलता
अमेरिका द्वारा सेमीकंडक्टर तकनीक के निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद, चीन ने SMIC की 110nm और 28nm प्रक्रियाओं का उपयोग कर इस चिप को विकसित किया। यह दिखाता है कि चीन अपनी मौजूदा तकनीकी क्षमताओं के भीतर भी नवाचार कर सकता है।
भविष्य की योजनाएँ
ली की टीम अब कस्टम इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर (ISA) पर काम कर रही है, जो AI मॉडल, स्पीच/इमेज रिकग्निशन और न्यूरल नेटवर्क्स को तेज़ करेगा। इससे चीन सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है।
वैश्विक प्रभाव
चीन का यह नवाचार दुनिया को दिखाता है कि ट्रांजिस्टर की संख्या बढ़ाने के बजाय, नई कंप्यूटिंग लॉजिक पर ध्यान देकर भी बेहतर चिप्स बनाए जा सकते हैं। यह तकनीक भविष्य में सेमीकंडक्टर डिज़ाइन को नई दिशा दे सकती है।
स्रोत: बीहांग यूनिवर्सिटी, SMIC
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