नारियल पत्ता स्ट्रॉ: बेंगलुरु प्रोफेसर का अनोखा इनोवेशन बदल रहा है प्लास्टिक की दुनिया

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नारियल पत्ता स्ट्रॉ

नारियल पत्ता स्ट्रॉ ने आज टिकाऊ जीवनशैली की दिशा में एक नई राह खोली है। बेंगलुरु के क्राइस्ट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर साजी वर्गीज ने अपने छात्रों के साथ मिलकर नारियल के गिरे हुए पत्तों से इको-फ्रेंडली स्ट्रॉ बनाने की अनोखी पहल शुरू की। इस इनोवेशन ने न केवल प्लास्टिक कचरे को कम किया, बल्कि हजारों ग्रामीण महिलाओं को भी रोजगार का अवसर दिया।

कभी जिस नारियल के पत्तों को बेकार मानकर जला दिया जाता था, आज उन्हीं से हर महीने करीब 7 लाख नारियल पत्ता स्ट्रॉ तैयार किए जा रहे हैं। यह इनोवेशन अब भारत से लेकर यूरोप और अमेरिका तक चर्चा का विषय बना हुआ है।


नारियल पत्ता स्ट्रॉ: कैसे हुई शुरुआत

नारियल पत्ता स्ट्रॉ का विचार सबसे पहले 2017 में तब आया, जब प्रोफेसर साजी वर्गीज ने देखा कि नारियल के पत्ते बड़ी मात्रा में खेतों में बर्बाद हो रहे हैं। उन्होंने शोध किया और पाया कि इन पत्तों में प्राकृतिक मजबूती और एंटी-फंगल गुण होते हैं। इसके बाद उन्होंने अपने छात्रों के साथ मिलकर इन्हें साफ करने, सुखाने और मशीनों की मदद से स्ट्रॉ बनाने का तरीका विकसित किया।

आज यह पहल Sunbird Straws ब्रांड के नाम से जानी जाती है।


नारियल पत्ता स्ट्रॉ: क्या है खासियत

नारियल पत्ता स्ट्रॉ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये पूरी तरह जैविक और टिकाऊ हैं। इनके प्रमुख गुण इस प्रकार हैं:

  • ये 100% बायोडिग्रेडेबल हैं और 90 दिन में प्राकृतिक रूप से मिट्टी में मिल जाते हैं।
  • ये स्ट्रॉ पानी या जूस में करीब 3 घंटे तक बिना गलने के इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
  • एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण इनकी उम्र बढ़ाते हैं।
  • इनका उत्पादन ग्रामीण महिलाओं के जरिए किया जाता है, जिससे स्थानीय रोजगार बढ़ा है।

नारियल पत्ता स्ट्रॉ: कितनी हो रही है खपत

रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर महीने करीब 7 लाख नारियल पत्ता स्ट्रॉ का उत्पादन हो रहा है। ये स्ट्रॉ भारत के अलावा अमेरिका, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और यूके जैसे देशों में भी निर्यात किए जा रहे हैं। अब तक कुल 2 करोड़ से ज्यादा स्ट्रॉ बिक चुके हैं।


नारियल पत्ता स्ट्रॉ: ग्रामीण महिलाओं के लिए वरदान

यह इनोवेशन सिर्फ पर्यावरण हित में नहीं है, बल्कि यह सैकड़ों महिलाओं के जीवन में बदलाव भी ला रहा है। कर्नाटका और केरल के गांवों में 100 से ज्यादा महिलाएं इस प्रोजेक्ट से जुड़ी हैं। वे नारियल पत्तों को इकठ्ठा करने, धोने, सुखाने और स्ट्रॉ तैयार करने के काम में अहम भूमिका निभा रही हैं। इससे उन्हें हर दिन करीब ₹300 तक की आय हो रही है।


नारियल पत्ता स्ट्रॉ: आगे की योजनाएं

Sunbird Straws की योजना उत्पादन को बढ़ाकर हर महीने 20 लाख स्ट्रॉ तक ले जाने की है। इसके लिए नई मशीनें तैयार की जा रही हैं, जो प्रति सेकंड एक स्ट्रॉ बना सकती हैं। इसके अलावा नारियल पत्तों से इको-फ्रेंडली पेन और स्क्रबर बनाने पर भी काम हो रहा है।


FAQs (Focus Keyword के साथ)

Q1. नारियल पत्ता स्ट्रॉ क्या होता है?

नारियल पत्ता स्ट्रॉ नारियल के गिरे हुए पत्तों से बना एक इको-फ्रेंडली स्ट्रॉ है, जो प्लास्टिक का विकल्प प्रदान करता है।

Q2. नारियल पत्ता स्ट्रॉ कितने समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है?

यह स्ट्रॉ किसी भी पेय पदार्थ में करीब 3 घंटे तक इस्तेमाल किया जा सकता है।

Q3. नारियल पत्ता स्ट्रॉ की खपत कहां-कहां हो रही है?

भारत समेत अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी इसकी बड़ी मांग है।

Q4. क्या नारियल पत्ता स्ट्रॉ बायोडिग्रेडेबल है?

हां, यह 100% बायोडिग्रेडेबल और पर्यावरण के अनुकूल है।

Q5. क्या इससे रोजगार सृजन हो रहा है?

जी हां, कर्नाटका और केरल में सैकड़ों ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिला है।

Q6. इस परियोजना का अगला लक्ष्य क्या है?

हर महीने 20 लाख स्ट्रॉ का उत्पादन और नए प्रोडक्ट लॉन्च करना।

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