मोदी विरोधी वीडियो में बच्चों की भागीदारी ने खड़ा किया नया विवाद
हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें छोटे-छोटे सिख बच्चों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पोस्टरों को लात मारते हुए दिखाया गया। यह वीडियो कथित रूप से कनाडा में रिकॉर्ड किया गया है और इसे एक सुनियोजित मोदी विरोधी प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। इस घटना ने भारत और विदेशों में बसे सिख नेताओं और समुदायों में तीव्र प्रतिक्रिया उत्पन्न की है।
सिख सांसदों ने मोदी विरोधी प्रदर्शन में बच्चों के इस्तेमाल को बताया शर्मनाक
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस वीडियो की आलोचना करते हुए कहा कि यह राजनीतिक रूप से प्रेरित मोदी विरोधी अभियान का हिस्सा है। उनका कहना था कि कुछ तत्वों को जब विदेशी फंडिंग मिलनी बंद हो गई, तो अब वे अपने उद्देश्य साधने के लिए मासूम बच्चों का उपयोग कर रहे हैं। पुरी ने कहा कि यह न केवल सिख धर्म के सिद्धांतों के विरुद्ध है बल्कि बच्चों के मानसिक शोषण का उदाहरण भी है।
विक्रमजीत सिंह साहनी बोले – मासूमों को मोदी विरोधी नफरत से दूर रखें
राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने वीडियो साझा करते हुए इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि मासूम बच्चों को मोदी विरोधी मानसिकता में ढालना भविष्य के लिए खतरनाक है।
साहनी ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने सिख समुदाय के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- करतारपुर कॉरिडोर का खुलना
- 1984 सिख दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने की कोशिश
- प्रवासी सिखों के लिए वीजा व FCRA नियमों में ढील
उन्होंने गुरु नानक देव जी के शब्दों का हवाला देते हुए कहा, “जब तक दुनिया रहे, कुछ सुनो और कुछ कहो।” उन्होंने मोदी विरोधी एजेंडे की जगह संवाद और मेलजोल पर ज़ोर देने की अपील की।
सतनाम सिंह संधू ने मोदी विरोधी प्रदर्शन को बताया खतरनाक और धर्मविरुद्ध
राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने भी इस वीडियो की कड़ी निंदा करते हुए इसे “धार्मिक मूल्यों के खिलाफ” बताया। उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि मोदी विरोधी सोच को बढ़ावा देने के लिए बच्चों को मोहरा बनाया जा रहा है।
संधू ने कहा कि सिख धर्म एक योद्धा परंपरा है, लेकिन उसकी नींव करुणा, सहिष्णुता और “सर्व हित” की भावना पर टिकी हुई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह की राजनीति बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकती है।
वैश्विक सिख समुदाय से अपील
सिख नेताओं ने संयुक्त रूप से वैश्विक सिख समुदाय से अनुरोध किया है कि वे ऐसे किसी भी मोदी विरोधी अभियान का समर्थन न करें जिसमें धर्म या बच्चों का गलत इस्तेमाल किया गया हो। उनका कहना है कि सिख धर्म नफरत नहीं बल्कि सेवा, भक्ति और भाईचारे की बात करता है।
क्या बच्चों को मोदी विरोधी राजनीति में घसीटना नैतिक है?
यह घटना एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करती है – क्या राजनीति में विरोध प्रदर्शन इतना नीचे गिर सकता है कि बच्चों को भी उसका हिस्सा बना दिया जाए?
मोदी विरोधी भावना को अभिव्यक्त करना लोकतांत्रिक अधिकार हो सकता है, लेकिन यदि यह नफरत और बच्चों के मन में द्वेष भरने तक पहुंच जाए, तो यह समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय बन जाता है।
निष्कर्ष: नफरत नहीं, संवाद हो आधार
सिख नेताओं की एकजुट प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट हो गया है कि मोदी विरोधी एजेंडे को धर्म और बच्चों के कंधों पर नहीं ढोया जाना चाहिए।
राजनीतिक असहमति ज़रूरी है, लेकिन उसका ज़रिया ऐसा न हो जो समाज को बांटने का काम करे या भविष्य की पीढ़ियों में नकारात्मकता भर दे। आज जरूरत है संवाद, समझदारी और संयम की—not अंधविरोध और कट्टरता की।
FAQs
प्रश्न 1: वायरल वीडियो में क्या दिखाया गया है और यह कहाँ से सामने आया?
उत्तर: वीडियो में कुछ छोटे सिख बच्चों को एक राजनेता के पोस्टर को लात मारते हुए दिखाया गया है। यह वीडियो कथित रूप से कनाडा में रिकॉर्ड किया गया है और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ।
प्रश्न 2: इस वीडियो पर भारत सरकार या किसी मंत्री की प्रतिक्रिया क्या रही?
उत्तर: केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इसे राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित बताया और कहा कि बच्चों को इस तरह की गतिविधियों में शामिल करना निंदनीय है।
प्रश्न 3: सिख समुदाय के नेताओं ने इस पर क्या प्रतिक्रिया दी है?
उत्तर: राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी और सतनाम सिंह संधू दोनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि बच्चों को घृणा फैलाने वाले कामों से दूर रखना चाहिए।
प्रश्न 4: क्या किसी तरह की कानूनी कार्यवाही की संभावना है?
उत्तर: अब तक भारत में कोई आधिकारिक कानूनी कार्यवाही नहीं हुई है, लेकिन यह मामला संवेदनशील है और भविष्य में कार्रवाई की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 5: सरकार द्वारा सिख समुदाय के लिए क्या प्रमुख कदम उठाए गए हैं?
उत्तर: केंद्र सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर खोलने, 1984 दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने और प्रवासी सिखों के लिए वीजा नियमों में ढील जैसे कई कदम उठाए हैं।
प्रश्न 6: वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर क्या माहौल है?
उत्तर: सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर काफी बहस चल रही है। कई यूजर्स ने बच्चों के इस्तेमाल को गलत बताया है, जबकि कुछ इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा मानते हैं।
प्रश्न 7: धार्मिक दृष्टिकोण से इस घटना को कैसे देखा जा रहा है?
उत्तर: सिख धर्मगुरुओं और नेताओं का मानना है कि धर्म सहनशीलता, सेवा और भाईचारे की सीख देता है। बच्चों को इस तरह के कृत्यों से जोड़ना धार्मिक सिद्धांतों के विरुद्ध है।
प्रश्न 8: क्या इस वीडियो से भारत-कनाडा संबंधों पर कोई प्रभाव पड़ा है?
उत्तर: अभी तक इस घटना को लेकर भारत और कनाडा के बीच आधिकारिक स्तर पर कोई विवाद सामने नहीं आया है, लेकिन विदेश मंत्रालय स्थिति पर नजर रखे हुए है।