रूस का बड़ा हमला: यूक्रेन में तबाही, यूरोपीय देश खामोश

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रूस का भीषण हमला: यूक्रेन में तबाही, यूरोपीय देशों की चुप्पी पर उठे सवाल

कीव | 11 जून 2025
यूक्रेन में हालात एक बार फिर बेहद गंभीर हो गए हैं। रूस ने मंगलवार देर रात यूक्रेन के कई शहरों पर भारी मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हमले में सैकड़ों लोगों के मारे जाने की आशंका है, और कई शहरों में भयंकर तबाही मची है। निप्रॉपेट्रोस शहर सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां सड़कों पर शव बिखरे हैं और चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल है।

हमले की प्रमुख बातें

  • रूस ने 400 से अधिक विस्फोटक ड्रोन्स और कई लंबी दूरी की मिसाइलों का प्रयोग किया
  • कई ऐसे शहर भी निशाने पर आए जहां पहले युद्ध नहीं पहुंचा था
  • हमलों में आवासीय इलाकों, अस्पतालों और सार्वजनिक ढांचों को नुकसान पहुंचा
  • हजारों नागरिक घरों में दुबके हुए हैं, बंकरों और तहखानों में छिपे हैं

ऑपरेशन स्पाइडर की प्रतिक्रिया?

विशेषज्ञों का मानना है कि रूस का यह हमला यूक्रेन के हालिया ऑपरेशन स्पाइडर के जवाब में हुआ है। इस ऑपरेशन में यूक्रेनी सेना ने रूस के भीतर कुछ संवेदनशील सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया था। कहा जा रहा है कि इस ऑपरेशन के पीछे यूरोपीय देशों की तकनीकी मदद थी, जिससे रूस नाराज़ हुआ।

यूरोप की खामोशी पर सवाल

यूक्रेन की जनता और सरकार की नाराज़गी अब यूरोपीय यूनियन और नाटो जैसे देशों पर है।

  • किसी भी देश ने अब तक कोई सैन्य प्रतिक्रिया या मानवीय सहायता की ठोस घोषणा नहीं की
  • यूक्रेनी नागरिकों का कहना है कि जब हमने दूसरों के लिए लड़ाई लड़ी, तो आज हमारे लिए कोई क्यों नहीं बोल रहा

निप्रॉपेट्रोस बना तबाही का केंद्र

  • रूस के हमलों में निप्रॉपेट्रोस शहर सबसे अधिक प्रभावित हुआ है
  • यहां की सड़कें मलबे से भरी हैं, शव खुले में पड़े हैं, और रेस्क्यू टीम लगातार काम कर रही है
  • शहर में बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ठप हैं

यूक्रेन सरकार का बयान

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने एक आपात बैठक के बाद कहा:
“हम इस क्रूर हमले का माकूल जवाब देंगे। रूस को इसका पछतावा होगा। हमें अकेला न समझा जाए।”

निष्कर्ष

रूस-यूक्रेन युद्ध एक बार फिर अपने सबसे खतरनाक मोड़ पर आ गया है। रूस ने जहां अपनी सैन्य ताकत का खुला प्रदर्शन किया है, वहीं यूक्रेन के सहयोगी देश अभी तक कोई स्पष्ट समर्थन नहीं दे रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या यूक्रेन को इस बार भी अकेले ही यह लड़ाई लड़नी पड़ेगी?

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