भारत में बढ़ते डिजिटल फ्रॉड और साइबर अपराधों की एक नई मिसाल बनी है ₹50 करोड़ साइबर ठगी, जिसका भंडाफोड़ पंजाब के मोहाली में हुआ है। इस हाई-प्रोफाइल मामले में मोहाली पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर पर छापा मारकर आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें एक महिला भी शामिल है। यह पूरा रैकेट छह महीने से ऑपरेट हो रहा था और देशभर के हजारों लोगों को इसका शिकार बनाया गया।
साइबर सेल की टीम ने ₹50 करोड़ साइबर ठगी से जुड़ी गतिविधियों को पकड़ने के लिए एक गुप्त जांच अभियान चलाया था। आरोपियों ने लोगों को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े फर्जी अलर्ट भेजकर डराने और फिर अपनी बैंकिंग जानकारी साझा करने के लिए मजबूर किया। उनके द्वारा भेजे गए मैसेज में कहा जाता था कि उनके खाते से संदिग्ध क्रिप्टो ट्रांजैक्शन हुआ है। डर के मारे लोग दिए गए नंबर पर कॉल करते थे, जहां यह फर्जी एजेंट सरकारी अधिकारी बनकर जानकारी निकालते और पैसों की ठगी करते।
₹50 करोड़ साइबर ठगी के तहत, आरोपियों ने गूगल गिफ्ट कार्ड, ई-वाउचर और डिजिटल पेमेंट चैनल्स के जरिए रकम वसूली और तुरंत उसे डार्क वेब या क्रिप्टो वॉलेट्स में ट्रांसफर कर दिया जाता था। इस तरह की घटनाएं अब भारत में तेजी से बढ़ रही हैं, और यह मामला इसका ताजा उदाहरण है।
कैसे हुआ ₹50 करोड़ साइबर ठगी का पर्दाफाश?
जैसे ही पुलिस को इनपुट मिला कि सेक्टर 91 स्थित एक लग्ज़री सोसाइटी में संदिग्ध गतिविधियां चल रही हैं, साइबर क्राइम टीम ने फौरन रेड प्लान की। ₹50 करोड़ साइबर ठगी के इस फर्जी कॉल सेंटर से 12 लैपटॉप, 14 मोबाइल फोन और एक स्कॉर्पियो गाड़ी जब्त की गई।
इस गिरोह में जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल और पश्चिम बंगाल से लोग शामिल थे। ये लोग हिंदी और अंग्रेज़ी में बहुत ही पेशेवर तरीके से बात करते थे जिससे लोग आसानी से इनके झांसे में आ जाते थे।
₹50 करोड़ साइबर ठगी का मास्टरमाइंड कौन?
पुलिस को संदेह है कि यह नेटवर्क किसी बड़े मास्टरमाइंड द्वारा चलाया जा रहा था जो अभी फरार है। हालांकि अभी तक इसका मुख्य सरगना सामने नहीं आया है, लेकिन पुलिस टीम इस पर सक्रिय रूप से काम कर रही है। ₹50 करोड़ साइबर ठगी से जुड़े लेन-देन और डिजिटल ट्रेल की जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि पैसे किस अकाउंट में ट्रांसफर किए गए।
₹50 करोड़ साइबर ठगी से जुड़े मुख्य तथ्य
- ठगी की कुल राशि: ₹50 करोड़
- गिरफ्तारी: 8 आरोपी (एक महिला सहित)
- जगह: मोहाली, पंजाब
- मुख्य हथकंडा: फर्जी क्रिप्टो अलर्ट और सरकारी अधिकारी बनकर फोन कॉल
- जब्त सामग्री: 12 लैपटॉप, 14 मोबाइल, एक स्कॉर्पियो SUV
- प्रभावित क्षेत्र: पूरे भारत से हज़ारों पीड़ित
₹50 करोड़ साइबर ठगी से कैसे बचें?
- कभी भी अज्ञात नंबर से आए कॉल पर अपनी बैंकिंग जानकारी साझा न करें।
- अगर आपको क्रिप्टो से जुड़ा कोई अलर्ट मिले तो संबंधित ऐप या वेबसाइट पर खुद जाकर जांच करें।
- फर्जी सरकारी अधिकारी बनकर डराने वाले कॉल्स से सावधान रहें।
- सभी डिजिटल ट्रांजैक्शन पर OTP सुरक्षा लागू रखें।
- संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर सेल को दें।
निष्कर्ष: ₹50 करोड़ साइबर ठगी ने खोली देश में साइबर सुरक्षा की पोल
₹50 करोड़ साइबर ठगी ने न सिर्फ आम लोगों को झटका दिया है, बल्कि इसने सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया है। यह मामला दिखाता है कि कैसे डिजिटल इंडिया के इस युग में अपराधी नई तकनीकों का इस्तेमाल कर जनता को ठग रहे हैं।
मोहाली पुलिस का यह कदम सराहनीय है, लेकिन इससे यह भी स्पष्ट है कि साइबर फ्रॉड अब केवल मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रह गए हैं। आम नागरिकों के लिए जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है।
📌 FAQs:
प्र.1: ₹50 करोड़ साइबर ठगी कैसे की गई थी?
उत्तर: लोगों को क्रिप्टो खरीद से जुड़े फर्जी अलर्ट भेजकर डराया गया और कॉल करके उनसे बैंकिंग जानकारी ली गई।
प्र.2: क्या इस केस में कोई महिला भी शामिल थी?
उत्तर: हां, गिरफ्तार किए गए आठ आरोपियों में एक महिला भी शामिल है।
प्र.3: क्या मास्टरमाइंड पकड़ा गया है?
उत्तर: नहीं, पुलिस अभी मास्टरमाइंड की तलाश कर रही है।
प्र.4: इस स्कैम में कितनी राशि की ठगी हुई है?
उत्तर: अनुमानित ₹50 करोड़ की ठगी हुई है।