नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि बीते 11 वर्षों में उनकी सरकार ने तकनीक की ताकत का इस्तेमाल कर देश को न केवल सेवा वितरण में पारदर्शी बनाया, बल्कि गरीबों के जीवन को भी सशक्त किया है। उन्होंने कहा, “भारत की युवा शक्ति के बल पर हम नवाचार और तकनीकी उपयोग में तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं, जिससे आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक टेक्नोलॉजी महाशक्ति बनने की दिशा में भी हमारा प्रयास मज़बूत हो रहा है।”
प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की गई एक शृंखला में बताया कि कैसे सरकार ने तकनीक के ज़रिए कल्याणकारी योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया। उन्होंने कहा कि तकनीक आज गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन को बदलने का माध्यम बन चुकी है।
डिजिटल बदलाव का असर
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 11 वर्षों में भारत ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के ज़रिए 322 योजनाओं के तहत 44 ट्रिलियन रुपये से ज़्यादा की राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में भेजी है। इस दौरान 56 मंत्रालयों ने DBT का उपयोग किया, जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगी और योजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ी।
हर क्षेत्र में दिखा डिजिटल इंडिया का प्रभाव
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत आज न केवल दुनिया में सबसे सस्ती मोबाइल डेटा सेवाएं प्रदान करता है, बल्कि देश में 94 करोड़ से अधिक ब्रॉडबैंड कनेक्शन और 120 करोड़ टेलीफोन ग्राहक हैं। 2014 में जहां टेली-डेंसिटी 75% थी, वहीं 2025 तक यह बढ़कर 85% तक पहुंच चुकी है।
स्पेस से लेकर स्वास्थ्य तक तकनीक का वर्चस्व
ISRO द्वारा अब तक 393 विदेशी उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉन्च करना इस बात का प्रमाण है कि भारत तकनीक के क्षेत्र में कितनी तेज़ी से आगे बढ़ा है। वहीं स्वास्थ्य के क्षेत्र में CoWIN प्लेटफॉर्म और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन जैसे कदमों ने सेवाएं अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाई हैं।
UPI बना भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का आधार
यूपीआई (UPI) को भारत की “वित्तीय धड़कन” बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश में अब डिजिटल भुगतान जीवन का हिस्सा बन चुका है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों तक भी वित्तीय समावेशन सुनिश्चित हुआ है।
डिजिटल क्रांति सिर्फ डिवाइस तक सीमित नहीं
पीएम मोदी ने कहा, “यह केवल डिवाइस और प्लेटफॉर्म की बात नहीं है, बल्कि यह नागरिक सशक्तिकरण, पारदर्शी प्रशासन और ‘विकसित भारत’ की डिजिटल नींव रखने का अभियान है।”
उन्होंने बताया कि डिजिटल मार्केटप्लेस से लेकर पासपोर्ट सेवा, सरकारी खरीद, स्वास्थ्य बीमा और कोरोना वैक्सीनेशन जैसे सभी क्षेत्रों में तकनीक ने आम लोगों को सशक्त बनाया है।
निष्कर्ष
11 वर्षों पहले शुरू हुई इस डिजिटल क्रांति ने भारत को एक डेटा-संचालित लोकतंत्र में बदल दिया है। यह बदलाव केवल आंकड़ों की कहानी नहीं, बल्कि आम लोगों की जिंदगी में आए बदलाव की गाथा है — एक ऐसा बदलाव जो भारत को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
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