लेख:
बिहार वोटर लिस्ट केस में सुप्रीम कोर्ट ने SSR प्रक्रिया पर कड़ी पूछताछ की है। यह मामला अब देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि बिहार सरकार की यह कवायद वोटर लिस्ट अपडेट के नाम पर असल में नागरिकता की जांच करने का प्रयास है। इस पर कोर्ट ने गंभीरता से विचार करते हुए राज्य सरकार और चुनाव आयोग से विस्तृत जवाब मांगा है।
बिहार सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा कि SSR यानी स्पेशल समरी रिवीजन, एक नियमित प्रक्रिया है जो हर राज्य में वोटर लिस्ट की शुद्धता के लिए होती है। वहीं याचिकाकर्ताओं का दावा है कि SSR की आड़ में खास समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
बिहार वोटर लिस्ट केस में याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा?
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि SSR के दौरान लोगों से उनकी नागरिकता साबित करने के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन बताया। उनका कहना है कि बिहार वोटर लिस्ट केस से लाखों लोगों की पहचान और मताधिकार पर खतरा मंडरा रहा है।
SSR प्रक्रिया पर बिहार सरकार का पक्ष
बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि SSR यानी विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण पूरी तरह से चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है। SSR का उद्देश्य पुराने, मृत या डुप्लीकेट नाम हटाना और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ना है। सरकार ने कहा कि बिहार वोटर लिस्ट केस में नागरिकता की जांच करने का कोई इरादा नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने SSR पर क्या टिप्पणियां कीं?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SSR प्रक्रिया एक आवश्यक प्रशासनिक कार्य हो सकती है लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसका दुरुपयोग न हो। कोर्ट ने टिप्पणी की कि बिहार वोटर लिस्ट केस में अगर नागरिकों को अनावश्यक रूप से परेशान किया गया, तो यह गंभीर चिंता का विषय होगा।
SSR क्या है और क्यों हो रहा विवाद?
SSR यानी Special Summary Revision, एक प्रक्रिया है जिसमें वोटर लिस्ट को अपडेट किया जाता है। इसमें नये मतदाताओं का नाम जोड़ा जाता है और गलत या पुराने रिकॉर्ड हटाए जाते हैं। विवाद इसलिए उठा है क्योंकि SSR के दौरान कुछ जिलों में लोगों से अतिरिक्त दस्तावेज मांगे गए। इससे यह आरोप लगे कि यह नागरिकता की आड़ में छंटनी का प्रयास है।
मामले की अगली सुनवाई कब होगी?
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर अगले तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने SSR प्रक्रिया पर फिलहाल रोक नहीं लगाई है लेकिन साफ कर दिया कि किसी नागरिक को बिना पर्याप्त कारण के मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। बिहार वोटर लिस्ट केस में अब अगली सुनवाई अगस्त में संभावित है।
FAQs
प्रश्न 1: बिहार वोटर लिस्ट केस क्या है?
उत्तर: बिहार वोटर लिस्ट केस वह विवाद है जिसमें SSR प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसमें आरोप है कि SSR नागरिकता जांच का माध्यम बन गया है।
प्रश्न 2: SSR का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: SSR यानी Special Summary Revision का उद्देश्य वोटर लिस्ट को अपडेट करना और गलत नाम हटाना है।
प्रश्न 3: सुप्रीम कोर्ट ने SSR पर क्या कहा?
उत्तर: कोर्ट ने SSR प्रक्रिया पर जवाब मांगा है और स्पष्ट किया कि नागरिक अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए।
प्रश्न 4: SSR कब से लागू हो रहा है?
उत्तर: SSR हर चुनाव से पहले एक नियमित प्रक्रिया के रूप में लागू होती है।
प्रश्न 5: क्या SSR प्रक्रिया पर रोक लगी है?
उत्तर: फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने SSR पर कोई रोक नहीं लगाई है, केवल जवाब मांगा है।
निष्कर्ष
बिहार वोटर लिस्ट केस में SSR प्रक्रिया पर देशभर में बहस छिड़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी भी परिस्थिति में नागरिकों को मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। अब देखना होगा कि बिहार सरकार और चुनाव आयोग क्या जवाब दाखिल करते हैं।