Students Evacuated from Iran: ईरान से भारत लौटे छात्रों ने ली राहत की सांस

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Students Evacuated from Iran:

Students Evacuated from Iran: तनाव के बीच लौटे जम्मू-कश्मीर के छात्र


ईरान में लगातार बढ़ते युद्ध जैसे हालात के बीच भारत सरकार ने Operation Sindhu के अंतर्गत एक अहम कदम उठाते हुए 110 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश लाया। इनमें से 90 Students evacuated from Iran जम्मू-कश्मीर के मेडिकल छात्र थे, जो ईरान के उरमिया शहर की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे।

इन सभी students evacuated from Iran ने भारत लौटते ही राहत की सांस ली और भारत सरकार का धन्यवाद किया। इन छात्रों को पहले ईरान से आर्मेनिया सड़क मार्ग से ले जाया गया और फिर वहां से एक विशेष विमान द्वारा नई दिल्ली पहुंचाया गया। यह मिशन, विदेश मंत्रालय, भारतीय दूतावास और स्थानीय ईरानी अधिकारियों के सहयोग से सुरक्षित रूप से सम्पन्न किया गया।

पहले 48 घंटे छात्रों और उनके परिवारों के लिए बेहद तनावपूर्ण रहे। लेकिन जैसे ही यह खबर सामने आई कि students evacuated from Iran को सुरक्षित बॉर्डर पार करा लिया गया है, देश भर में राहत का माहौल बन गया। इन छात्रों की वापसी भारत की तेज़ और संगठित डिप्लोमैटिक रणनीति का प्रमाण है।

इन students evacuated from Iran को लेकर देशभर में चर्चा तेज़ हो गई थी, खासकर सोशल मीडिया पर लगातार ट्रेंडिंग में रहा। परिवार, दोस्त और सहपाठी लगातार उनके सकुशल लौटने की प्रार्थना कर रहे थे।


ईरान में क्यों बढ़ा संकट?

ईरान और इज़राइल के बीच हालिया संघर्ष अचानक तेज़ हो गया है। एक के बाद एक मिसाइल हमलों और जवाबी कार्रवाई से आम नागरिकों के लिए स्थिति बेहद ख़तरनाक हो गई थी। उरमिया, जहां से अधिकतर छात्र थे, उस क्षेत्र में भी धमाकों की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं।

विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास ने समय पर एडवाइज़री जारी की, जिसमें भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और दूतावास के संपर्क में रहने के निर्देश दिए गए। हालात बिगड़ते देख भारत सरकार ने तुरंत निर्णय लेकर ऑपरेशन सिंधु की शुरुआत की, ताकि अधिकतम students evacuated from Iran को सुरक्षित निकाला जा सके।


छात्रों ने जताई राहत, लेकिन बस व्यवस्था पर सवाल

हालांकि, दिल्ली पहुंचने के बाद छात्रों ने यह शिकायत की कि जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा भेजी गई बसें बेहद खराब स्थिति में थीं। इस पर तुरंत मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हस्तक्षेप किया और घोषणा की कि सभी छात्रों को अब डीलक्स बसों में भेजा जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि JKRTC को निर्देश दिए गए हैं कि छात्रों को किसी भी तरह की असुविधा न हो। जल्द ही नई बसें भेज दी गईं और छात्रों को कड़ी सुरक्षा में उनके गृह जिलों तक पहुँचाया गया।


अगला कदम: और छात्रों की सुरक्षित वापसी

भारत सरकार अभी भी ईरान में फंसे लगभग 4,000 भारतीय नागरिकों को लेकर सतर्क है। इन नागरिकों में से आधे से अधिक छात्र हैं। ऑपरेशन सिंधु के अगले चरण में और छात्रों को लाने की योजना बनाई जा रही है।

भारतीय दूतावास ने 24×7 हेल्पलाइन शुरू की है, जहां परिजन अपने बच्चों की स्थिति के बारे में जानकारी ले सकते हैं। MEA की टीम लगातार ईरान में स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि और students evacuated from Iran हो सकें।


निष्कर्ष

विषयविवरण
कुल छात्रों की वापसी110
जम्मू-कश्मीर के छात्र90
रेस्क्यू मिशनऑपरेशन सिंधु
अगली योजनाऔर छात्रों की सुरक्षित वापसी
बस सुविधालग्ज़री बसों की व्यवस्था की गई

भारत सरकार की त्वरित कार्रवाई, ईरान में भारतीय दूतावास का सक्रिय सहयोग, और जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तत्परता ने यह सुनिश्चित किया कि students evacuated from Iran पूरी तरह सुरक्षित और सम्मानजनक रूप से भारत लौट सकें।

1. क्यों इन छात्रों को ईरान से वापस लाया गया?

ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव और युद्ध जैसे हालात के कारण वहां रह रहे भारतीय नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों की सुरक्षा को खतरा था। इसी वजह से सरकार ने आपातकालीन निकासी का निर्णय लिया।


2. कितने भारतीयों को निकाला गया और वे कहां पढ़ाई कर रहे थे?

इस ऑपरेशन में कुल 110 भारतीय नागरिकों को निकाला गया, जिनमें से अधिकांश मेडिकल स्टूडेंट थे और उरमिया विश्वविद्यालय, ईरान में पढ़ाई कर रहे थे।


3. वापसी के लिए कौन-से रास्ते और साधनों का उपयोग किया गया?

इन लोगों को पहले बस के माध्यम से ईरान से आर्मेनिया की सीमा पार कराई गई और फिर एक विशेष विमान के जरिए नई दिल्ली लाया गया।


4. क्या सभी छात्रों की घर वापसी पूरी हो गई है?

हां, पहली खेप में जो छात्र निकाले गए थे, वे सभी दिल्ली पहुंच चुके हैं और उन्हें उनके गृह ज़िलों में भेजा जा रहा है।


5. यात्रा के दौरान क्या कोई कठिनाई हुई?

दिल्ली पहुंचने के बाद कुछ छात्रों ने यह शिकायत की कि उन्हें जिस बस में भेजा गया, उसकी स्थिति अच्छी नहीं थी। इसके बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने उन्हें लग्ज़री बसों की सुविधा देने का निर्णय लिया।


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